Thursday 3 September 2015

हाँ! मैं उदास होती हूँ!

धड़कने खामोश सी लगेंगी, ज़िन्दगी बहुत ज़ालिम महसूस होगी......अपने आप से नफरत और अपनों से अजीब सी छिड होने लगेगी| चिंता मत करिये  कभी- कभी दिमाग को शांत करने की नहीं समय देने की ज़रुरत होती है| गुस्सा आना, आंसूओं का बहना सब स्वाभाविक और ज्यास है, इंसान हैं आप आपको हक है इन सबका| टूटने का मन करेगा, बिखरने के लिए तड़प होगी, ऐसा लगेगा जैसे सब कुछ गलत हो रहा है| अपनी ज़िन्दगी  अभिशाप सी लगेगी|
तब बस इतना याद रखियेगा की दुनिया के किसी कोने मे कोई ऐसा ज़रूर है जो आपको जैसे आप हैं  वैसे ही आपको प्यार करता है, उसके लिए आप जैसे हैं  वैसे ही सबसे अच्छे हैं |
ऐसा सोचने के बाद अपने आप ही मुस्कान आ जाएगी और आप बेहतर महसूस करोगे|

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