Friday 26 January 2018

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने!

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने
के ज़ख़्म है छर छरायेगा, दर्द होगा
तन्हाई का एहसास होगा
मकान के रहते भी घर की चाहत होगी.

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने
की लोगों को घर बनाने से इत्मिनान
रत्ती भर का होगा लेकिन जाने का दुःख ऐसा
की ना बयान किया जाए ना अंदर दबाया जाए.

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने
की खुले आमान के नीचे भी
दम घुट सकता, इंसान अंदर से मर सकता
है लेकिन ज़िंदा लाश की तरह फिर भी
चल सकता है.

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने,
की प्यार है आसमान नहीं
वक़्त के साथ ख़त्म हो जाएगा
सब मिट्टी में मिल जाएगा
और ये प्रियतम बस तड़पता रह जाएगा.

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने,
की ऐतबार का एहसास होना
उसका साथ होना
सब अलग है.

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने,
की क्लब को इत्मिनान और
ज़ेहन का सुकून ना चाँद
की शीतलता ना सूर्य के तेज से मिलता है.

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने,
की तुम भी औरों की
तरह एक दिन चले जाओगे
जाओ ना भी तो मर जाओगे.

ये कभी क्यूँ नहीं बताया किसी ने,
की थकना हमेशा हारना नहीं होता
क्या तुम भी कायर हो?
अपने ही सवालों से भयभीत?

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